26 जुलाई सिर्फ एक तारीख नहीं देश के लिए एक त्यौहार है- राजीव खंडेलवाल
"कारगिल विजय के 25 वर्ष पूर्ण, पुर्व संध्या पर भाजयुमो की मशाल रैली के साथ विभिन्न अयोजन"
देवास। 26 जुलाई को मनाया जाने वाला कारगिल विजय दिवस भारत के लिए अहम दिन है। यह 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान देश के लिए अपनी जान की आहुति देने वाले भारतीय शहीद सैनिकों के शौर्य एवं पराक्रम को नमन के साथ ही कारगिल विजय होने पर प्रत्येक भारतीय को गौरांवित होने का क्षण भी है उक्त विचार उक्त विचार भारतीय जनता पार्टी जिला अध्यक्ष राजीव खंडेलवाल ने मशाल रैली के समापन के दौरान व्यक्त किए।
जानकारी देते हुए जिला मीडिया प्रभारी सतीश चौहान ने बताया कि प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर भारतीय जनता युवा जिला अध्यक्ष राम सोनी की अगुवाई में कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती के अवसर पर पूर्व संध्या पर मशाल रैली निकालकर शहीदों के शौर्य एवं पराक्रम को नमन करने के साथ ही कारगिल विजय में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीदों को भाजपा कार्यालय पर विजयदीप स्तंभ प्रज्वलवित कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस दौरान कारगिल युद्ध पर आधारित एक चित्र प्रदर्शनी भाजपा कार्यालय में लगाई गई जिसका भी उद्घाटन भाजयुमो प्रदेश कोषाध्यक्ष जयंतराव गरुड़ एवं भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव खंडेलवाल, भाजयुमो जिलाध्यक्ष राम सोनी सहित सहित सभी उपस्थित अतिथियों ने किया।
आज भाजपा जिला कार्यालय पर भाजयुमो द्वारा‘’कारगिल विजय दिवस’’ की 25 वी वर्षगांठ के अवसर पर सैनिकों का सम्मान भी किया।
'लाहौर डिक्लेरेशन' के उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब देते हुए जीत हासिल की- जयंत राव गरुड़
कारगिल विजय दिवस का इतिहास 1971 की शुरुआत में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध से जुड़ा है, जिसके कारण पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश नाम से एक अलग देश बन गया। इसके बाद भी दोनों देशों के बीच एक-दूसरे के साथ टकराव जारी रहा, जिसमें आसपास के पहाड़ी इलाकों पर सैन्य चौकियां तैनात करके सियाचिन ग्लेशियर पर हावी होने की लड़ाई भी शामिल थी। उन्होंने 1998 में अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण भी किया, जिसके कारण दोनों के बीच लंबे समय से दुश्मनी चलती रही। शांति और स्थिरता बनाए रखने और तनाव को हल करने के लिए, फरवरी 1999 में 'लाहौर डिक्लेरेशन' पर साइन करके कश्मीर मुद्दे के द्विपक्षीय शांतिपूर्ण समाधान की ओर कदम बढ़ाने की कसम खाई गई थीं किन्तु पाकिस्तानी सेना ने करगिल में घुसपैठ की थी परिणामस्वरूप भारत ने इसका मुंहतोड़ जवाब देते हुए जीत हासिल की थी।
कारगिल विजय दिवस का आयोजन राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति का भी एक सशक्त प्रतीक है- राम सोनी
कारगिल विजय दिवस के आयोजन से सम्पूर्ण देश में नव पीढ़ी जिनकी उम्र 25-30 वर्ष से कम है उन्हें यह स्मरण कराना कि किन विषम परिस्थितियों में हमारे सैनिक राष्ट्र प्रथम की भावना से सरहद पर सुरक्षा करते है एवं आवयश्कता पढ़ने पर शहीद हो जाते है क्योंकि सेना सरहद पर है मतलब 140 करोड़ भारतीयों की सुरक्षा की गारंटी है।
राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति का भी एक सशक्त प्रतीक है। कारगिल युद्ध ने भारत के सभी कोनों से लोगों को सेना के समर्थन में एकजुट किया। इस आयोजन के माध्यम से युद्ध में सैनिकों की बहादुरी और वीरता की कहानियां आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित कर उनमें राष्ट्र के प्रति कर्तव्य और समर्पण की भावना पैदा करना हैं।
इस दौरान पूर्व जिलाध्यक्ष बहादुर मुकाती, देवास विकास प्राधिकरण पूर्व अध्यक्ष राजेश यादव, पूर्व महापौर सुभाष शर्मा,भाजपा जिला महामंत्री मनीष सोलंकी, पंकज वर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती लीला अटारिया, भाजपा अजा मोर्चाजिलाध्यक्ष संजय दायमा, पंकज घारू, भाजपा जिला मंत्री हरीश देवलिया एवं नगर निगम पार्षद अजय तोमर आलोक साहू, भूपेश ठाकुर, सोनू परमार निलेश वर्मा, राम यादव, प्रवीण वर्मा,नयन कानूनगो भाजयुमो जिला पदाधिकारी आयुष भूतड़ा, संदीप गुर्जर, राहुल गोस्वामी, राजकुमार पाटीदार, राहुल मालवीय सुरेंद्र गायकवाड़, दुर्गेश चिल्लोरिया गोलू प्रजापति, मनीष पंड्या, कोशराज सिंह गणेश पटेल, भाजयुमो मंडल अध्यक्ष अभिषेक गोस्वामी, केशव जोशी , राजवर्धन यादव, सहित युवा मोर्चा पदाधिकारीगण एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहें।
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