मोदी कैबिनेट ने दी नागरिकता संशोधन बिल को मंजूरी

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक को आज मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इस मुद्दे पर कैबिनेट की बैठक संसद भवन के एनक्सी बिल्डिंग में हुई। सरकार इसी सत्र में नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा में पेश करेगी। बाद में इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इस बिल को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संसद में पेश करेंगे। इस बिल के पेश होने के दौरान भाजपा ने अपने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने का आदेश दिया है।
हालांकि एनआरसी के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक के कई प्रावधानों को लेकर विपक्ष पुरजोर विरोध करने की तैयारी में लगा हुआ है। कैबिनेट की मंजूरी मिल जाने के बाद अब इस बिल को संसद की परीक्षा से गुजरना होगा। लोकसभा में तो भाजपा के पास ख़ुद ही 303 सीटें हैं तो उसे वहां कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन सरकार की असली परिक्षा राज्यसभा में होगी, जहां ये संसोधन बिल फंस सकता है।
क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक
नागरिकता संशोधन विधेयक में नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन का प्रस्ताव है। इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के शरणार्थियों के लिए नागरिकता के नियमों को आसान बनाना है। मौजूदा समय में किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य है।
इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल करना है यानी इन तीनों देशों के छह धर्मों के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। आसान शब्दों में कहा जाए तो भारत के तीन पड़ोसी मुस्लिम बहुसंख्यक देशों से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाना है।