
रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल अभियान को सफलता पूर्वक अमली जामा पहनाने की दिशा में पूरी शक्ति और शिद्दत से काम किया जा रहा है। इसी तारतम्य में साय सरकार के द्वारा एक अहम निर्णय लेते हुए जशपुर जिले की महत्वाकांक्षी महिला केंद्रित ब्रांड जशप्योर का ट्रेडमार्क अब उद्योग विभाग को हस्तांतरित किया गया है। इस ऐतिहासिक निर्णय जशप्योर को व्यापक उत्पादन, संस्थागत ब्रांडिंग और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच दिलाने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है।
छत्तीसगढ़ के उत्तर-पूर्वी कोने में प्रकृति की गोद में बसे जशपुर जिले को, संस्कृति, समृद्धि और जनजातीय परंपराओं की अनूठी विरासत मिली है। लंबे समय तक जशपुर क्षेत्र अपनी शानदार संभावनाओं के बावजूद राष्ट्रीय पटल पर स्थान नहीं बना सका था मगर राज्य की साय सरकार में अब जशपुर न केवल विकास की नई राह पर है, बल्कि “ग्लोबल ब्रांड” बनने की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है। जशपुर में होने वाली इस नई सुबह का श्रेय जाता है छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दूरदर्शी नेतृत्व और प्रतिबद्ध प्रयासों को, जो स्वयं जशपुर से हैं और इस क्षेत्र की आत्मा से भलीभांति परिचित हैं।

जशपुर को छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहा जाता है। यहां की ठंडी जलवायु, पहाड़ी श्रृंखलाएं, जलप्रपात, हरे-भरे जंगल और जैव विविधता इसे अद्वितीय बनाते हैं। इसके अलावा जशपुर में और भी बहुत कुछ है जो बहुत ख़ास है जैसे यहां कॉफी उत्पादन की व्यापक संभावनाएं हैं। यहां ऑर्गेनिक खेती की जाती है। इस क्षेत्र में जड़ी-बूटी आधारित कृषि प्रचुरता से होती है और छत्तीसगढ़ का जशपुर आदिवासी संस्कृति, हस्तशिल्प और पारंपरिक व्यंजन के साथ एक शानदार एथनिक पर्यटन का केंद्र भी है।
विष्णुदेव साय का विज़न- जशपुर को ग्लोबल ब्रांड बनाना
मुख्यमंत्री बनने के बाद विष्णुदेव साय ने जशपुर के बहुआयामी विकास को प्राथमिकता दी। आरम्भ से ही उनका लक्ष्य रहा कि जशपुर के लोकल उत्पाद, पर्यटन, संस्कृति और कृषि को वैश्विक पहचान बनाएं। राज्य के मुख्या के द्वारा कृषि को ब्रांडिंग और वैल्यू एडिशन के साथ जोड़ने का सफल प्रयास किया जा रहा है जिसके तहत जशपुर के ऑर्गेनिक चावल, हल्दी, कोदो, कुल्थी जैसे उत्पादों को ‘जशपुर नैचुरल्स’ या ‘ब्रांड जशपुर’ नाम से प्रमोट किया जा रहा है। फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना से कृषि उत्पादों को मार्केटिंग के अनुकूल बनाया जा रहा है। “वन ग्राम, वन प्रोडक्ट” मॉडल से गांवों को विशेष उत्पादों पर केंद्रित किया जा रहा है।

कॉफी मिशन- जशपुर बन सकता है भारत का ‘कॉफी हब’
विष्णुदेव साय सरकार ने जशपुर में कॉफी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेष कॉफी ज़ोन का विकास किया। कॉफी प्रोसेसिंग यूनिट्स, ब्रांडिंग एवं एक्सपोर्ट हब की योजना बनाई। स्टार्टअप और MSMEs को कॉफी उत्पादों के निर्माण में जोड़ने का प्रयास। ये योजना जशपुर को ‘जशपुर कॉफी’ ब्रांड के तहत अंतरराष्ट्रीय कॉफी बाजार से जोड़ेगी।

सांस्कृतिक विरासत का वैश्वीकरण जशपुर की जनजातीय परंपराएं जैसे सरहुल, करमा, नाचा और लोक नृत्य विदेशी पर्यटकों को लुभाने में सक्षम हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि वार्षिक ‘जशपुर फेस्टिवल’ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट किया जाए। जनजातीय वस्त्र, संगीत, शिल्पकला का डिजिटल प्रदर्शन कर इन्हें अंतरराष्ट्रीय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाए।
पर्यटन को ‘एक्सपीरियंस ब्रांड’ के रूप में विकसित करना
जशपुर पर्यटन के लिए स्वर्ग समान है। विष्णुदेव साय सरकार इसे ईको, एडवेंचर और हेरिटेज टूरिज्म के रूप में विकसित कर रही है। रामरेखा धाम, राजपुरी जलप्रपात, खरियानी गुफा, दुलदुला हॉटस्प्रिंग को पर्यटन सर्किट में शामिल कर इंटरनेशनल प्रमोशन। होमस्टे योजना के माध्यम से ग्रामीणों को पर्यटन से जोड़ना।ट्रैकिंग ट्रेल्स और हिल रिसॉर्ट्स का निर्माण।‘ब्रांड जशपुर’ के तहत पर्यटकों को अनुभवात्मक पर्यटन का अवसर मिलेगा – संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य और स्थानीय जीवनशैली का संगम।
जशपुर के हस्तशिल्प और ग्रामीण उद्योग का वैश्विक मंच
विष्णुदेव साय सरकार ने स्थानीय हस्तशिल्प को वैश्विक पहचान देने के लिए”ब्रांडेड हाट” योजना शुरू की है। जशपुर में महिला स्व-सहायता समूहों को हैंडलूम, बांस शिल्प और माटी कला के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर “Made in Jashpur” टैग के साथ उत्पादों की बिक्री शुरू की गई है।जशप्योर की पहुंच अब देशभर के प्रमुख एयरपोर्ट स्टोर्स तक होने जा रही है।
रेयर प्लेनेट के साथ हुए समझौते के तहत पहले चरण में पांच एयरपोर्ट्स पर महुआ और अन्य उत्पादों की बिक्री शुरू की जा रही है। यह पहल जशप्योर को राष्ट्रीय उपभोक्ताओं से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। राज्य के स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा इस एमओयू पर ऑनलाइन माध्यम से हस्ताक्षर किए गए थे।

ग्लोबल स्किल्स के साथ तैयार हो रहे है जशपुर के युवा
एक ग्लोबल ब्रांड बनने के लिए स्थानीय युवाओं का वैश्विक दृष्टिकोण से प्रशिक्षित होना ज़रूरी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में जशपुर स्किल हब की स्थापना की गई है, जिसमें हॉस्पिटालिटी, डिजिटल मार्केटिंग, ई-कॉमर्स, फूड टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आईटीआई और पॉलिटेक्निक कॉलेजों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ इंटर्नशिप और जॉब लिंकेज की भी व्यवस्था बनाई जा रही है।
जशप्योर जशपुर की आदिवासी महिलाओं द्वारा निर्मित वनोपज उत्पादों के ब्रांड को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के प्रयास के पीछे का उद्देश्य प्राकृतिक, पोषणयुक्त और रसायनमुक्त खाद्य उत्पादों का निर्माण करते हुए स्थानीय समुदायों को रोजगार उपलब्ध कराना और सतत विकास को बढ़ावा देना है। इस ब्रांड का लक्ष्य छत्तीसगढ़ की समृद्ध कृषि और वनोपज का प्रसंस्करण कर खाद्य उत्पादों के रूप में तैयार करना तथा रोजगार से जोड़ते हुए व्यावसायिक स्तर पर इन्हें व्यापक पहचान दिलाना है।
सामाजिक समावेशिता और जनभागीदारी
समावेशी विकास पर आधारित है विष्णुदेव साय सरकार का ‘जशपुर मॉडल’ जिसके तहत बहुत से सार्थक प्रयत्न किए गए हैं जैसे आदिवासी समाज की संस्कृति को संरक्षित रखते हुए उन्हें मुख्यधारा से जोड़ना। महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रख कर सखी मंडलों को उद्यमिता से जोड़ना।”एक जिला, एक पहचान” अभियान में जशपुर को विशेष महत्व देना।जशप्योर जशपुर की आदिवासी महिलाओं द्वारा निर्मित वनोपज उत्पादों का ब्रांड अब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने को तैयार है।
राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में जशप्योर का ट्रेडमार्क उद्योग विभाग को हस्तांतरित किया जाएगा जिससे इसका उत्पादन और ब्रांडिंग व्यापक होगी। महुआ और मिलेट से बने उत्पादों को वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 में सराहा गया।छत्तीसगढ़ के दूरस्थ अंचल जशपुर की आदिवासी महिलाओं के समूह द्वारा प्राकृतिक वनोपज का प्रसंस्करण कर तैयार की गई विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्रियों का ब्रांड जशप्योर अब जशपुर और छत्तीसगढ़ की सीमाओं से बाहर निकलकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कदमताल करने को तैयार है।जशप्योर ब्रांड महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने वाला उपक्रम है, जिसे जशपुर जिले की आदिवासी महिलाओं द्वारा संचालित किया जाता है।
जशप्योर की सबसे खास बात इसकी महिला प्रधान कार्यशक्ति है। यहां 90 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी आदिवासी महिलाएं हैं, जो उत्पादन से लेकर पैकेजिंग तक हर स्तर पर सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। इस मंच के माध्यम से ये महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि परंपरागत ज्ञान और तकनीकों को आधुनिक बाजार में प्रस्तुत करने में भी सक्षम हो रही हैं।ब्रांड ट्रेडमार्क हस्तांतरण के इस ऐतिहासिक निर्णय से जशप्योर को प्रोत्साहन मिलने के साथ ही कच्चे माल के मांग में वृद्धि होगी और आदिवासी महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे। इस निर्णय से जशप्योर ब्रांड का ट्रेडमार्क उद्योग विभाग को हस्तांतरित किया जाएगा, ताकि इसके दायरे और प्रभाव को और व्यापक बनाया जा सके। इससे जशप्योर के उत्पादों को विश्वस्तरीय बनाने, उत्पादन में वृद्धि के लिए उन्नत मशीनें लगाने और प्रभावी मार्केटिंग सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
जशप्योर के उत्पादों की मुख्य विशेषताएं
जशप्योर के उत्पादों की मुख्य विशेषता यह है कि ये पूरी तरह से प्राकृतिक हैं। इनमें किसी भी प्रकार के प्रिज़र्वेटिव, रंग या कृत्रिम स्वाद का उपयोग नहीं किया जाता और ये सस्टेनेबल पैकेजिंग में उपलब्ध हैं। जशप्योर द्वारा महुआ और अन्य वनोपज को शामिल करते हुए कई प्रकार के पारंपरिक और स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। इनमें महुआ आधारित उत्पाद जैसे महुआ नेक्टर, महुआ वन्यप्राश, महुआ कुकीज़, रागी महुआ लड्डू, महुआ कैंडी और महुआ नेक्टर कोकोआ शामिल हैं।
इसके अलावा, ढेकी कूटा जवा फूल चावल, मिलेट आधारित पास्ता और कोदो, कुटकी, रागी तथा टाऊ से बने विभिन्न उत्पाद भी पूरे भारत में अपनी पहचान बना रहे हैं। 20 सितंबर 2024 को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 में जशप्योर के स्टॉल ने सभी का मन मोह लिया था। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने वाले उपभोक्ताओं, पोषण विशेषज्ञों और उद्यमियों के बीच महुआ और मिलेट से बने उत्पादों की खूब चर्चा रही। सभी ने इसकी भरपूर सराहना की क्योंकि इन उत्पादों में कोई एडिटिव, प्रिज़र्वेटिव या स्टेबलाइजर नहीं है, जिससे ये पूरी तरह से प्राकृतिक, सुरक्षित और पोषणयुक्त हैं।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर जशपुर की उपस्थिति
G20 विज़न से प्रेरित होकर राज्य के मुख्यमंत्री के दिशा निर्देश में ‘ग्लोबल ब्रांड जशपुर’ की संकल्पना के अंतर्गत स्थानीय प्रतिनिधिमंडलों ने जापान, जर्मनी और फ्रांस के कृषि और हस्तशिल्प फेयर में भाग लिया। मिलेट्स मिशन के तहत जशपुर की कोदो-रागी की सराहना वैश्विक संगठनों ने की और WTO और FAO जैसे संगठनों से संवाद प्रारंभ किया गया।
जशप्योर की राह में आने वाली चुनौतियां और उसका समाधान
जशपुर को वैश्विक पहचान दिलाने की राह आसान नहीं है मगर विष्णुदेव साय सरकार ने समाधानोन्मुख शानदार और कारगर रणनीतियां अपनाई है। जशपुर के दुर्गम रास्ते एक बड़ी चुनौती थी जिसके समाधान में यहां सड़कों के जाल बिछा दिए गए। जशप्योर के उत्पादों को बाज़ार तक पहुंचाने के लिए ई-कॉमर्स, एक्सपोर्ट हब का भी सहारा लिया गया। युवाओं का बढ़ता पलायन भी जशप्योर के मार्ग की एक बड़ी चुनौती थी जिसका समाधान राज्य की साय सरकार ने स्किलिंग और स्थानीय रोजगार के ज़रिए ढूंढ निकाला है।
डिजिटल मार्केटिंग और GI टैग से ब्रांडिंग की चुनौती से निपटा गया। ‘ब्रांड जशप्योर’ की कल्पना तभी साकार हो सकती है जब आधारभूत संरचनाएं सुदृढ़ हो इसके लिए छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने ज़िले में 4-लेन सड़कों, हेलिपैड और इको-फ्रेंडली बस सेवाओं का विकास किया। अंबिकापुर-जशपुर रेल योजना को तेज़ी से आगे बढ़ाने का काम किया।टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देते हुए रिसॉर्ट्स, कैफे, गाइड्स, डिजिटल मैपिंग की सुविधा तैयार की है।

जशप्योर-लोकल टू ग्लोबल की राह पर अग्रसर
जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ शासन के प्रयासों से महुआ को अब केवल शराब तक ही सीमित नहीं रखा जा रहा बल्कि इसे फॉरेस्ट गोल्ड या ग्रीन गोल्ड के रूप में स्थापित किया जा रहा है। जशप्योर यह साबित कर रहा है कि स्वास्थ्यवर्धक भोजन स्वादिष्ट भी हो सकता है। शासन की इस पहल से जशप्योर को लोकल टू ग्लोबल ब्रांड बनाने में मदद मिलेगी और निश्चित ही यह निर्णय प्रदेश भर में वनोपज और स्थानीय उत्पादकों के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगा।
जशपुर आज एक ‘प्राकृतिक खजाने’ से बढ़कर ‘ग्लोबल ब्रांड’ की ओर अग्रसर है। यह बदलाव संभव हुआ है मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता, प्रशासनिक दक्षता और जनभागीदारी के त्रिवेणी संगम से। उन्होंने यह सिद्ध किया है कि अगर नेतृत्व में दूरदृष्टि और इच्छाशक्ति हो, तो जनजातीय, पिछड़े कहे जाने वाले क्षेत्र भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना स्थान बना सकते हैं। ‘ब्रांड जशपुर’ न केवल एक भूगोल की बात है, बल्कि यह एक सोच है – “लोकल को ग्लोबल” बनाने की। और यह सोच अब एक आंदोलन का रूप ले चुकी है।